संदर्भ ग्रंथ:-
वह कृति (या प्रकाशन) जिसमें ग्रंथों की सूची दी गई हो। ये ग्रंथ किसी एक विषय से संबंधित हों, किसी एक समय में प्रकाशित हुए हों या किसी एक स्थान से प्रकाशित हुए हों। यह शब्द 'ग्रंथों का भौतिक पदार्थ के रूप में अध्ययन' इस अर्थ में भी प्रयोग किया जाता है।
'इफ्ला' द्वारा स्वीकृत उक्त परिभाषा में मुख्य तीन अर्थ शामिल किए गए हैं :
(1) ग्रंथसूची या सिस्टेमेटिक और इन्यूमेरेटिव बिब्लियोग्रैफी
(2) ग्रंथवर्णन या अनालिटिक डिस्क्रिप्टिव और टेक्श्चुअल बिब्लियोग्रैफी
(3) ग्रंथ का भौतिक पदार्थ के रूप में अध्ययन या हिस्टोरिकल बिब्लियोग्रैफी।
इसके अंतर्गत ग्रंथ का बाह्य रूप में प्रत्येक प्रकार का अध्ययन, जिससे ग्रंथ के इतिहास, निर्माण आदि का ज्ञान हो, आ जाता है। इस प्रकार कागज की निर्माणविधि, मुद्रणकला का इतिहासविकास, चित्रों के मुद्रण की विविध पद्धतियाँ, ग्रंथ के निर्माणकाल में की जानेवाली विविधि क्रियाएँ आदि सभी बातें 'ग्रंथसूची' शब्द के अंतर्गत आ जाती हैं।
ग्रंथ सूची:-
ग्रंथसूची (बिब्लियोग्रैफी) वस्तुत: सूचीपत्र (कैटलॉग) का ही एक रूप है, पर दोनों शब्द पर्यायवाची नहीं हैं। सूचीपत्र से किसी एक पुस्तकालय या संग्रहालय में उपलब्ध साहित्य का ज्ञान होता है। सूचीपत्र किसी प्रकाशक द्वारा प्रकाशित ग्रंथों की सूची मात्र भी हो सकता है तथा किसी पुस्तक विक्रेता द्वारा बेचे जानेवाले ग्रंथों की सूची भी। सूचीपत्र में जो ग्रंथ सम्मिलित किए जाते हैं, उनका न्यूनतम विवरण, (यथा लेखक एवं ग्रंथ का नाम तथा प्रकाशन तिथि,) दे देना ही पर्याप्त समझा जाता है। इससे किसी ग्रंथ के अस्तित्व मात्र का ज्ञान ही हो पाता है। सूचीपत्र तैयार करने की विधि भी सरल है। वह या तो ग्रंथों को देखकर तैयार किया जाता है या किसी दूसरे सूचीपत्र की सहायता से। कभी कभी सूचीपत्र तैयार करने में दूसरे पुस्तकालयों तथा विद्वानों की सहायता भी ली जाती है। सूचीपत्र में ग्रंथों का जो विवरण दिया जाता है, उससे काई व्यक्ति यह पता नहीं लगा सकता कि किसी ग्रंथ का मुद्रण किन परिस्थितियों में हुआ तथा उस ग्रंथ के बाद के संस्करणों (एडीशंस) में यदि कोई परिवर्तन, संशोधन किया गया, तो क्यों?
ग्रंथसूची (बिब्लियोग्रैफी) का क्षेत्र भी यद्यपि कुछ अंशों तक सीमित रहता है, तथापि उसकी सीमा एक ओर यदि न्यूनतम हो सकती है तो दूसरी ओर अति विस्तृत भी। ग्रंथसूची के अंतर्गत किसी एक लेखक, प्रकाशक, मुद्रक, विषय, काल या देश (या प्रकाशनस्थान) से संबंधित ग्रंथों की सूची को लिया जा सकता है। यदि किसी पुस्तकालय में उपलब्ध किसी एक लेखक, प्रकाशक, मुद्रक, विषय, काल या देश से संबंधित ग्रंथों; या अन्य प्रकार की ग्रंथ सदृश सामग्री (बुक-लाइक मैटीरियल्स), यथा सभी प्रकार का प्रकाशित अप्रकाशित साहित्य, पैंफ्लेट, पत्रपत्रिकाएँ, समाचारपत्र और उनमें छपी रचनाओं के 'रिप्रिंट', नक्शे, चित्र, माईक्रोफिल्म सामग्री, हस्तलिखित ग्रंथ आदि की सूची किसी विशेष उद्देश्य एवं क्रम से तैयार की जाय तो उसे ग्रंथसूची कहा जायगा। इसे और अधिक स्पष्ट करने के लिये एक उदाहरण लेना अप्रासंगिक नहीं होगा। नागरीप्रचारिणी सभा, काशी, के आर्यभाषा पुस्तकालय में उपलब्ध सभी ग्रंथों की सूची को 'आर्यभाषा पुस्तकालय का सूचीपत्र' कहा जायगा। यदि वहाँ उपलब्ध प्रेमचंद से संबंधित तथा उनके द्वारा लिखित सभी ग्रंथों की सूची तैयार की जाए तो उसे 'प्रेमचंद की ग्रंथसूची' माना जायगा, यद्यपि उसे 'आर्यभाषा पुस्तकालय में प्रेमचंद कृत तथा प्रेमचंद संबंधी साहित्य का सूचीपत्र' भी कहा जा सकता है।
प्रकार
ग्रंथसूची कई प्रकार की हो सकती है, पर इसके मुख्य रूप निम्न लिखित हैं :
राष्ट्रीय ग्रंथसूची (नेशनल बिब्लियोग्रैफी)
अर्थात् किसी देश में प्रकाशित समस्त साहित्य की सूची।
इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि किसी देश में प्रकाशित संपूर्ण साहित्य उस देश की जनता को बिना किसी आपत्ति के सुलभ होना चाहिए। कोई व्यक्ति या संस्था सभी प्रकाशित साहित्य नहीं खरीद सकती।
सूचीपत्र
सूचीपत्र भी कुछ सीमा तक ग्रंथसूची का रूप ले सकते हैं। यदि किसी पुस्तकालय में उपलब्ध केवल किसी एक निश्चित विषय के ग्रंथों का सूचीपत्र तैयार किया जाय तो उसे कुछ अंशों तक ग्रंथसूची के रूप में उपयोग किया जा सकता है। अधिकांश प्रसिद्ध एवं बड़े पुस्तकालयों के विषय सूचीपत्र (सब्जेक्ट कैटलॉग) कालांतर में विषय ग्रंथसूची (सब्जेक्ट बिब्लियोग्रैफी) का महत्व प्राप्त कर लेते हैं।
विषय ग्रंथसूची (सब्जेक्ट बिब्लियोग्रैफी)
इनके संकलन का मुख्य उद्देश्य तथा इनमें शामिल ग्रंथों की मुख्य समानता केवल यह होती है कि वे किसी एक विषय से संबद्ध होते हैं। यह ग्रंथसूची, अन्य प्रकार की ग्रंथसूचियों के समान समसामयिक (करेंट) ग्रंथों की भी हो सकती है तथा पूर्वकालीन (रिट्रास्पेक्टिव) ग्रंथों की भी। यह विशद (कांपिहेंसिव) भी हो सकती है या केवल चुने हुए साहित्य की भी (सलेक्टिव), इसी प्रकार उसमें शामिल ग्रंथों के विवरण के साथ टिप्पणी (एनोटेशन) भी हो सकती है तथा नहीं भी। इसका प्रकाशन पत्रपत्रिका के रूप में निर्धारित समय में भी हो सकता है, छोटी पुस्तिका (पैंफ्लेट और मोनोग्राफ) के रूप में भी और स्वतंत्र ग्रंथ के रूप में भी।
सहायक ग्रंथसूची
विश्वविद्यालयों की पाठ्यपुस्तकों (टेक्स्ट बुक) तथा वैज्ञानिक ग्रंथों के कुछ परिच्छेदों के अंत में और कुछ महत्वपूर्ण अनुसंधानात्मक ग्रंथों के अंत में कभी कभी स्वतंत्र अध्याय या परिशिष्ट के रूप में लेखक 'सहायक ग्रंथसूची', 'अन्य साहित्य', 'पठनीय साहित्य' या उपयोगी साहित्य, आदि शीर्षक देकर कुछ ग्रंथों की सूची देते हैं। कुछ पत्रपत्रिकाओं में प्रकाशित महत्वपूर्ण लेखों के अंत में भी कभी कभी सहायक ग्रंथसूची दी रहती है। इसी प्रकार विश्वकोशों एवं शोध लेखों के अंत में संक्षिप्त ग्रंथसूची दी होती है। इन्हें भी ग्रंथसूची का ही एक रूप मानना चाहिए।
ग्रंथसूचियों की ग्रंथसूची (बिब्लियोग्रैफी ऑव बिब्लियोग्रैफीज)
विश्व के सभी देशों में प्रकाशित ग्रंथों की निरंतर वृद्धि के साथ ही साथ लेखक तथा विषय ग्रंथसूची (आथर ऐंड सब्जेक्ट बिब्लियोग्रैफीज) की आवश्यकता भी बढ़ती जाती है। पाश्चात्य देशों में प्राय: सभी प्रसिद्ध लेखकों की ग्रंथसूची प्रकाशित हो चुकी है। कुछ लेखकों की तो कई ग्रंथसूचियाँ अलग अलग उद्देश्य से प्रकाशित हुई हैं। लेकिन केवल ग्रंथसूची के प्रकाशित हो जाने से ही समस्या हल नहीं हो जाती। किस किस लेखक की तथा किस किस विषय की एवं किस प्रकार की ग्रंथसूचियाँ उपलब्ध हैं, यह जानने के लिये जब तक कोई साधन न हों, तब तक उपलब्ध ग्रंथसूचियों का पूरा पूरा उपयोग नहीं किया जा सकता।
साहित्य निर्देशिका (गाइड टु लिटरेचर)
इसी सदी के आरंभ में ग्रंथसूची का यह नया रूप प्रकाश में आया है। इस प्रकार एक विषय के प्रकाशित अप्रकाशित महत्वपूर्ण साहित्य का विशद परिचय दिया रहता है। हिंदी में भी इस प्रकार की एक ग्रंथसूची प्रकाशित हो चुकी है।
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Bed socond year pedagogy of social science ka Sandarbh granth
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